Mujhe Ab Siwaye Allah ke, Kisi se Dar Nahin Raha – Puja Lamba
May 4, 2016Sab Kuch Allah ki Taraf se Hota Hai – Dr. Ameena Coxon, England
May 5, 2016अल्लाह ही की हिदायत और रहमत है कि उसने मुझे सच्ची राह दिखाई – जेसॉन क्रुज, पूर्व ईसाई पादरी
अल्लाह का शुक्र है कि मुझे अल्लाह ने 2006 में इस्लाम रूपी बेशकीमती ईनाम से नवाजा। जब भी कोई मुझसे यह पूछता है कि मैं कैसे इस सच्चे धर्म की तरफ आया तो मैं झिझक जाता हूं। क्योंकि यह मेरी काबलियत नहीं बल्कि यह अल्लाह ही की हिदायत और रहमत है कि उसने मुझे सच्ची राह दिखाई। बिना अल्लाह की मर्जी और रहमत के कोई इस सच्चे मार्ग की तरफ नहीं आ सकता। -जेसॉन क्रुज,पूर्व ईसाई पादरी
कैसे मैं इस्लाम में दाखिल हुआ:
मैं न्यूयॉर्क के एक कैथोलिक परिवार में पैदा हुआ। मेरे माता और पिता रोमन कैथोलिक थे। हम इतवार को चर्च जाते थे। पहले मैंने ईसाई धर्म की शिक्षा ली, ईसा मसीह के स्मरणार्थ पहले भोज में शामिल हुआ और फिर मैंने रोमन कैथोलिक चर्च की सदस्यता कबूल कर ली। जब मैं जवान हुआ तो मुझे परमेश्वर की ओर से मार्गदर्शन के संकेत का अहसास होने लगा। इसका अर्थ मैंने यह लगाया कि यह मेरे लिए रोमन कैथोलिक पादरी बनने का मैसेज है। मैंने यह बात अपनी मां को बताई तो वह बहुत खुश हुई और वह मुझे हमारे इलाके के पादरी के पास ले गई।
इसे दुर्भाग्य मानें या सोभाग्य कि यह ईसाई पादरी अपने पेशे से खुश नहीं था और इसने मुझे पादरी बनने के विचार से ही दूर रहने की सलाह दी। इससे मैं विचलित हुआ। इस बीच परमेश्वर के शुरूआती मैसेज के अहसास को भूला देने, अपनी मूर्खता और किशोर अवस्था के चलते मैंने एक अलग ही रास्ता चुन लिया। बदकिस्मती से जब मैं सात साल का था तो मेरा परिवार बिखर गया। मेरे माता-पिता के बीच तलाक हो गया और मैं अपने पिता से दूर हो गया।
पन्द्रहवें साल में पहुंचने पर मैं पार्टियों और नाइट क्लबों में जाने में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगा। पहले मैंने वकील बनने का ख्वाब संजोया और फिर राजनेता बनने के सपने देखने लगा ताकि अच्छी लाइफ स्टाइल जी सकूं । हाई स्कूल पास करने के बाद मैं कॉलेज पहुंचा लेकिन मैं वहां पढ़ नहीं पाया और वहां से ऐरीजोना (जहां मैं अब तक लगातार रहा) आया और यहां डिग्री पूरी होने तक रहा।
एरीजोना में एक दिन मेरी तबियत ज्यादा खराब हो गई। दरअसल मैं वहां घर से भी ज्यादा बुरे लोगों की संगत में फंस गया था। शिक्षा कम होने की वजह से मुझे छोटे-मोटे काम करने पड़े। मैं नशे, बदचलनी और नाइट क्लब में जाने की आदत का शिकार हो गया।
इसी दौरान मैं पहली बार एक मुस्लिम शख्स से मिला। वह एक नेक इंसान था और विदेशी छात्र के रूप में शिक्षा हासिल कर रहा था। वह मेरे दोस्तों के साथ पार्टी वगैरह में आता था। मैंने उससे इस्लाम पर तो चर्चा नहीं की लेकिन उससे उसके कल्चर को लेकर सवाल किए जिसका जवाब उसने खुलकर दिया।
मेरी जिंदगी का यह बुरा दौर कुछ सालों तक चला। मैं इस जिंदगी के बारे में ज्यादा नहीं बताना चाहता। मुझे बहुत से आघात लगे। मेरे जानकार लोग मारे गए। मुझे चाकुओं से गोदा गया और भी कई जख्म मुझे मिले। यह कोई ड्रग्स के खतरों की कहानी नहीं है। मैं अपनी इस बुरी जिंदगी का आपके सामने जिक्र इसलिए कर रहा हूं कि मैं आपको यह बात जोर देकर बताना चाहता हूं कि अगर ईश्वर चाहे तो बुरे हालात में भी आपको राह दिखाकर नारकीय जिंदगी से बाहर निकाल सकता है। आपको सही राह पर ला सकता है।
मैंने सुपर पावर के साथ फिर से जुड़ाव महसूस किया और इसी दौरान नशीली चीजों का सेवन करना छोड़ दिया। ईश्वरीय कृपा के चलते ही मैं इन बुराइयों से बच पाया। दरअसल मैं परमेश्वर से जुड़ाव खो चुका था जो कभी पहले मेरा उससे रहा था। मैं फिर से सच्चे ईश्वर की तलाश में जुट गया।
बदकिस्मती से मैं पहली बार में सच्चाई को नहीं पा सका और मैंने हिन्दू धर्म अपना लिया। हिन्दू धर्म में मुझे इस बात ने प्रभावित किया था कि आखिर हमें कष्ट क्यों झेलने पड़ते हैं। मैंने पूरी तरह हिन्दू धर्म अपना लिया, यहां तक मैंने अपना नाम भी बदलकर हिन्दू नाम रख लिया। इस बदलाव से मैं नशीली चीजों के सेवन से दूर रहा और मेरी जिंदगी सकारात्मक दिशा की तरफ चलने लगी।
लेकिन मैं फिर से ईश्वर की तरफ से एक चुभन महसूस करने लगा। मुझे यहां भी सुकून नहीं मिला। सच की तलाश को लेकर मेरे में बेचैनी अभी भी बनी थी। इसी के चलते मैंने हिन्दू धर्म छोड़ दिया और मैं फिर से ईसाई धर्म में आ गया। मुझे महसूस हुआ कि परमेश्वर मेरी सेवाएं एक पादरी के रूप में चाहता है। इसलिए मैंने पादरी के रूप में सेवाएं देने के लिए रोमन कैथोलिक चर्च में सम्पर्क किया।
मुझे न्यू मेक्सिको में मोनेस्टरी में एक पोस्ट के साथ शिक्षा देने का प्रस्ताव रखा गया। उस वक्त मेरी मां, भाई और बहिन भी एरीजोना आ गए थे और यहां मेरी कई लोगों से अच्छी दोस्ती थी। मैं न्यू मैक्सिको जा नहीं पाया और एरीजोना के ही एक कैथोलिक चर्च से जुड़कर विभिन्न सेमीनार के जरिए मैंने घर रहते हुए ही ईसाइयत का अध्ययन किया। बाद में मैं एरीजोना में ही स्वतंत्र रोमन कैथोलिक चर्च में नियुक्त कर दिया गया। मैंने चर्च से जुड़ी कई सेमीनार अटेंड की और फिर 2005 में मुझे पादरी के रूप में नियुक्त कर दिया गया।
मुझे विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच जाकर ईसाइयत का मैसेज देने की जिम्मेदारी दी गई। मेरा काम शहरी क्षेत्र में जाकर विभिन्न धर्मों के लोगों की आस्था, रीति-रिवाजों को समझना और उनको ईसाइयत का मैसेज देना था। मैं अधिकतर ईसाई रीति-रिवाजों का पहले ही अध्ययन कर चुका था और इनसे वाकिफ था। मैंने यहूदी और पूर्वी धर्मों का भी अध्ययन कर लिया था।
जहां में काम करता था वहां नजदीक की गली में ही एक मस्जिद थी। मैंने सोचा कि मेरे लिए अच्छा मौका है कि मैं इस्लाम के बारे में भी सीखूं ताकि विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच संवाद के अपने काम को और मजबूत बना सकूं। मैं टेम्पे मस्जिद गया और वहां मुझे अच्छे लोग मिले।
मैंने इस्लाम का अध्ययन करना शुरू कर दिया। जो कुछ मैंने पढ़ा उसने मेरे दिल को बेहद प्रभावित किया। मैं फिर मस्जिद गया और वहां पर मैं एक काबिल टीचर अहमद अल अलकयूम से मिला। ब्रदर अहमद अल अलकयूम अमेरिकन मुस्लिम सोसायटी के रीजनल डायरेक्टर थे। वे मस्जिद में सभी धर्मों के लोगों के लिए एक ऑपन क्लास लेते थे जिसमें वे इस्लाम का परिचय कराते थे। मैं भी उनकी क्लास में शामिल होने लगा। क्लास में शामिल होने के दौरान ही मुझे यकीन होने लगा कि इस्लाम ही सच्चा धर्म है। और कुछ दिनों बाद ही मैंने इस्लाम का कलमा पढ़कर मैं मुसलमान बन गया।
ब्रदर अहमद अल अलकयूम और शेख अहमद शकीरात दोनों बहुत बड़ी हस्ती हैं और इन्हीं की वजह से मेरा इस्लाम में आना आसान हुआ। मैंने चर्च से इस्तीफा दे दिया और अल्लाह का शुक्र है कि मैं तभी से मुसलमान हूं। इस्लाम कबूल करने के साथ ही मेरी जिंदगी में अच्छे बदलाव आए।
पादरी का पद छोडऩे और इस्लाम अपनाने पर मेरे परिवार वालों को बेहद आश्चर्य हुआ। वे कुछ समझ नहीं पाए बल्कि वे तो इस्लाम से भयभीत थे। बाद में उन्हें महसूस हुआ कि कुरआन और सुन्नत के प्रति जबरदस्त भरोसे से मेरा जीवन ज्यादा खुशहाल हुआ है और मेरा घर वालों के साथ बेहतर ताल्लुकात हुए हैं तो फिर उन्हें लगा कि इस्लाम तो अच्छा धर्म है।
ब्रदर अहमद जानते थे कि इस्लाम अपनाने के बाद का एक साल मुश्किलों भरा होता है, उन्होंने इस दबाव को झेलने के तरीके सुझााए। मैं कई नव मुस्लिम से भी मिला। मैं अब एक मुस्लिम के रूप में बेहतर तरीके से काम को अंजाम देने वाला बन गया। मैं एक प्रोग्राम का मेनेजर बना। इस प्रोग्राम का मकसद प्रभावित लोगों को अल्कोहल, एड्स और हेपेटाइटिस से बचाना था।
मैं मुस्लिम अमेरिकन सोसायटी का ही स्वंयसेवी नहीं बना बल्कि एरीजोना के मुस्लिम यूथ सेन्टर और अन्य मुस्लिम समाजसेवी संस्थाओं से भी जुड़ गया। मुझे हाल ही टेम्पे मस्जिद के बोर्ड में भी शामिल किया गया है जहां मैंने इस्लाम कबूल किया था।
अब मैं सच्चे मुस्लिम दोस्त ही रखता हूं। अब मैं मौज-शौक से जुड़ी पार्टियों में हिस्सा नहीं लेता। अगर अल्लाह ने चाहा तो मैं इस्लाम की खिदमत के लिए मेरे पसंदीदा इस्लामी विद्वानों से इस्लाम का ज्यादा से ज्यादा इल्म हासिल करूंगा। आज मैं जो कुछ भी हूं अल्लाह के रहमो करम से हूं और जो कुछ मेरे में कमियां-खामियां रहीं वे मेरी वजह से रही।
-जेसॉन क्रुज
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