Paighamber Muhammad (saw) ki Sikshayen

Darood Ka Matlab
May 18, 2016
Samantayen : Islam Dharm Aur Hindu Dharm Mein
May 20, 2016
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पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल.) की शिक्षाएं

Al-Haram Al-Madani

सामाजिक बुराइयाँ

जातीय पक्षपात:

“एक व्यक्ति ने पूछा कि क्या अपने लोगों से मुहब्बत करना पक्षपात है ? पैग़म्बर (सल्ल॰) ने फ़रमाया, ‘‘नहीं, यह पक्षपात नहीं है। पक्षपात और सांप्रदायिकता तो यह है कि आदमी अपने लोगों के अन्यायपूर्ण कामों में उनकी मदद करे।“  
(मिशकात)
‘‘जो कोई ग़लत और अनुचित कामों में अपने क़बीले (कुटुम्ब, परिवार और वंश) का साथ देता है, उसकी मिसाल उस ऊँट की–सी है जो कुँए में गिर पड़े फिर उसे उसकी दुम पकड़ कर खींचा जाए।“  
(अबू–दाऊद)
‘‘पक्षपात यह है कि तुम अन्याय के मामले में अपनी क़ौम की मदद करो।”
(अबू–दाऊद)
‘‘तुम्हारी जाहिलियत का घमण्ड और अपने बाप–दादा पर गर्व करने का तरीक़ा अल्लाह ने मिटा दिया है। आदमी या तो अल्लाह से डरनेवाला मुत्तक़ी (परहेज़गार) होता है या अभागा नाफ़रमान। तमाम इनसान अल्लाह का कुटुम्ब हैं और आदम मिट्टी से पैदा किए गए थे।“
(तिरमिज़ी)

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अमानत की हिफ़ाज़त :

‘जो तुम्हारे पास अमानत रखे उसे उसकी अमानत अदा कर दो और जो तुमसे ख़ियानत (चोरी) करे तो तुम उससे ख़ियानत (विश्वासघात) न करो!’’
(तिरमिज़ी)
‘‘धागा और सूई (भी) अदा करो, और ख़ियानत से बचो, इसलिए कि यह ख़ियानत क़ियामत (प्रलय) के दिन पछतावे का सबब होगी।“
(मिशकात)
‘‘चार चीज़ें तुम्हें प्राप्त हों तो दुनिया की किसी चीज़ से वंचित होना तुम्हारे लिए नुक़सानदेह नहीं है:
(1) अमानत की सुरक्षा
(2) सच बोलना
(3) अच्छा आचरण
(4) हलाल और पवित्र रोज़ी (आजीविका)।” 
(मिशकात)
‘‘जिस किसी को हम किसी सरकारी काम पर नियुक्त कर दें और उस काम की तनख़ाह दें, वह अगर उस तनख़ाह के बाद और कुछ (अधिक) वुसूल करे तो यह ख़ियानत  (बेईमानी) है।”
(अबू–दाऊद) 
‘‘लोगो, जो कोई हमारी हुकूमत में किसी काम पर लगाया गया और उसने एक धागा या उससे भी मामूली चीज़ छिपाकर इस्तेमाल की तो यह ख़ियानत (चोरी) है, जिसका बोझ उठाए हुए वह क़ियामत (प्रलय) के दिन अल्लाह के सामने उपस्थित होगा।”
(अबू–दाऊद)

कारोबार और व्यवहार से सम्बन्धित :

‘‘सच्चे और अमानतदार कारोबारी आख़िरत (परलोक) में पैग़म्बरों, सिद्दीक़ों (बहतु सच्चे लोगों) और शहीदों के साथ रहेंगे (यानी स्वर्ग में ऐसे व्यक्ति का स्थान बहुत ऊँचा होगा)।”
(तिरमिज़ी)
‘‘किसी व्यापारी के लिए वैध नहीं कि वह कोई माल बेचे और उसकी कमी ख़रीदार को न बताए। इसी तरह किसी के लिए यह भी वैध नहीं कि (बेचे जानेवाले माल के) दोष को जानता हो फिर भी ख़रीदार को न बताए।”
(हदीस)
‘‘अल्लाह उस व्यक्ति पर रहम (दया) करे जो ख़रीदने–बेचने और (क़र्ज़ का) तक़ाज़ा करने में नरमी और उदारता से काम ले।”
(बुख़ारी)
‘‘ख़रीदने–बेचने में ज़्यादा क़समें खाने से बचो! क्योंकि इससे कारोबार में बढ़ोत्तरी तो (सामयिक) होती है लेकिन फिर बरकत ख़त्म हो जाती है।“
(मुस्लिम)
‘‘अल्लाह उस व्यक्ति के साथ रहमत (दयालुता) का व्यवहार करेगा जो उस समय नरमी और शिष्टाचार से काम ले जब वह किसी को माल बेचे और जब वह किसी से माल ख़रीदे और जब वह किसी से क़र्ज़ का तक़ाज़ा करे।”
(बुख़ारी)
‘‘जिस व्यक्ति ने बताए बिना ऐबदार (जिसमें कोई ख़राबी हो) चीज़ बेच दी, वह हमेशा अल्लाह के ग़ज़ब (प्रकोप) में रहेगा और फ़रिशते उसपर फटकार भेजते रहेंगे।”
(इब्ने–माजा)

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