Muhammad (saw) ke Vishay Mein, Mahatma Gandhi Ke Vichar
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April 21, 2016चमत्कारों के बिना, सबसे बड़ा चमत्कार दिखाने वाले नबी – हज़रत मुहम्मद (सल्ल.)
आप सल्ल0 ने, लड़ार्इ न तो देशो को विजय करने की लालसा में की और न दुश्मनों को नीचा दिखाने की भावना से। केवल हक की सरबुलंदी आप सल्ल0 के सामने थी और इस लिए इसको जिहाद कहा गया और इस जिहाद में अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले बहादुरो का नाम शहीद रखा गया। शहीद के मायने होते है, अपनी जान कुरबान करके हक की गवाही देने वाले।
चमत्कारों के बिना सबसे बड़ा चमत्कार दिखाने वाले नबी! धार्मिक गुरूओं पर आम लोग आसानी सें विश्वास नही करते। बहुत सारे गुरू आश्चर्यजनक और अस्वाभाविक चीजों का प्रदर्शन करते हैं और उनके चमत्कारों को देखकर आम इन्सानों की चमत्कार प्रिय अभिरूचि उन पर विश्वास करने लगती हैं।
र्इश्वर पर र्इमान भी बहुत से धर्मो मे इसी चमत्कार प्रियता पर निर्भर करता हैं- हकीकत यह हैं कि जब तक इंसान इस बात को न माने कि नेक मनुष्य को शाश्वत जीवन और बुरे मनुष्यों को शाश्वत असफलता मिलकर रहेगी तब तक सम्भव नही कि मनुष्य नेकी और पाकीजगी की जिन्दगी अपनाने के लिए दृढ़ता और मजबूती के साथ आगे बढ़ सके।
इस उददेश्य को प्राप्त करने के लिए और इन बातो को मन और मस्तिष्क में बिठाने के लिए हमे पुराणों मे, वेदो में, प्राचीन नियमों की पुस्तक और नवीन नियमो की पुस्तक में धर्म की ओर बुलाने वाले भाति-भाति से अलौकिक तरीके अपनाते हुए दिखार्इ हैं।
ऐसे चमत्कारों से हटकर पवित्र और गहरा जीवन अगर किसी का नजर आता हैं तो वह प्यारे नबी सल्ल0 का जीवन हैं।
इतना ही नही, बल्कि जब चमत्कारों को मुतालबा आप सल्ल0 से किया गया तो इसके जवाब में आप सल्ल0 ने कुरआन मजीद को पेश कर दिया।
मूर्तिमान चमत्कारों से मुक्त होकर ज्ञान और विवके की ओर बुलाने वाला क्रांतिकारी व्यक्तित्व प्यारे नबी सल्ल0 का हैं।
एक और पहलू से प्यारे नबी सल्ल0 के जीवन को देखिए। आप सल्ल0 धार्मिक गुरू हैं और साथ ही जिहाद का नेतृत्व भी आप सल्ल0 ने किया हैं।
उपदेश करने वाले उपदेशक भी हैं और कुशल शासक और रहनुमा भी इन दोनो हैसियतों को आप सल्ल0 के व्यक्तित्व में बड़ा सुन्दर समन्वय पाया जाता हैं। बद्र का युद्व क्षेत्र हो या बनी कैनका का घेराव हो, सवीक की लड़ार्इ हो या उहूद का युद्ध-तबूक की मुहिम हो या खैबर का संघर्ष हर जगह और हर रण-क्षेत्र में आप सल्ल0 एक समझदार और बहादुर जनरल के रूप में सामने आते हैं।
धार्मिक गुरू और साथ ही फौज के अध्यक्ष! यह दोनो खूबियॉ एक साथ अगर पार्इ जाती हैं तो आप सल्ल0 ही की जिन्दगी मे!
जिहाद और सैन्य कला में आप सल्ल0 माहिर नजर आते हैं आप सल्ल0 ने र्इमान और अकीदों के बल पर जो साहस अपने साथियों में पैदा किया वह इतिहास का एक शानदार कारनामा हैं।
आप सल्ल0 ने लड़ार्इ न तो देशो को विजय करने की लालसा में की और न दुश्मनों को नीचा दिखाने की भावना से। केवल हक की सरबुलंदी आप सल्ल0 के सामने थी और इस लिए इसको जिहाद कहा गया और इस जिहाद में अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले बहादुरो का नाम शहीद रखा गया। शहीद के मायने होते है, अपनी जान कुरबान करके हक की गवाही देने वाले।
लड़ार्इ के मैदान में घबराकर और तीरों की बौछार से डरकर भाग निकलने वाला जहन्नमी हैं।
यह थी प्यारे नबी सल्ल0 की महान शिक्षा जिहाद के बारे में। इसका परिणाम यह हुआ कि आप सल्ल0 के साथी निर्भय होकर पूरे साहस के साथ सत्य के संदेश को लेकर स्पेन से चीन तक फैल गए।
प्यारे नबी सल्ल0 के बताए हुए तरीके से जब मुसलमान दूर हुए तो उसी समय से उनका पतन शुरू हो गया । इससे पहले उन्होने कभी पराजय का मुॅह नही देखा था।
आप सल्ल0 के जमाने में रोम की हूकूमत एक विशाल शक्ति समझी जाती थी लेकिन प्यारे नबी सल्ल0 की बहादुरी और दृढ़ विश्वास के सामने रोम की यह शक्ति ठहर न सकी। जी हॉ, यही वह मुहम्मद सल्ल0 हैं जो मरूस्थल में पैदा होकर पलने-बढ़ने वाले एक निर्धन व्यक्ति थे और फिर मानवता के लिए महान नेता साबित हुए।
सैनिक सामग्री में आप सल्ल0 को चमड़े की लगाम तक उपलब्ध न थी। मजबूरन कपड़ो से बनी हुर्इ लगाम मे सैनिक घोड़ो को लगार्इ जा रही थी।
एक तरफ सैनिक सामग्री का यह अभाव! दूसरी तरफ विशाल रोमन इम्पायर, हर प्रकार की सैनिक साज-सज्जा से माला माल! क्या मुकाबला था दोनो का ?
लेकिन अपने सिद्धान्तों पर विश्वास रखने वाले नबी और उन के अनुयायियों ने अल्लाह पर भरोसा करके मुकाबला किया और सफल हुए। एक तरफ आप सल्ल0 दुनिया को त्याग देने वाले सन्यासियों से भी ज्यादा नि:स्वार्थ और सरल स्वभाव थे, दूसरी तरफ अरब और उसके आसपास के कामियाब शासक।
इसके बावजूद आप सल्ल0 की जिन्दगी बड़ी सादा थी। आप मामूली मकान में रहते थें। आप सल्ल0 का जीवन स्तर वह न था जो रर्इसो और अमीरों की जिन्दगी का हुुआ करता हैं। आप सल्ल0 का भोजन अत्यन्त साधारण होता था। यहॉ तक कि आप सल्ल0 को फाके तक की नौबत आ जाती थी, जिसे याद करके हमारी ऑखे सजल हो जाती हैं।
ये सारी खूबिया वास्तव मे देन हैं इस्लाम की, जिसके आप सल्ल0 सच्चे प्रतिनिधि और अलमबरदार थें।
इसीलिए इस्लाम से मुझे प्यार हैं।
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Author : अब्दुल्लाह आडीयार