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April 10, 2016School Mein Padhne ke Liye Kursi Le Aani Hoti Hai.
April 11, 2016फर्स्ट अप्रैल – एक मनसूबा
दुनिया ने तारिक़ बिन ज़य्याद के हौसले को देखा। और अंत में क्रूसेड की क्रूरता को भी देखा। उरूज़ और जवाल दोनों ही स्पेन के इतिहास दर्ज़ हैं। जिससे हम कुछ नही सीख सके।
अल्लामा मोहम्मद इक़बाल (र.) ने कहा कि जो कौम अपना इतिहास भूल जाती है। वह ऐसा मानो जैसे कोई अपनी याददाश्त खो देता है।
इस्लामिक इतिहास का 1250 से 1500 तक का दौर बेहद अहम और सबक आमोज़ है, जो कि स्पेन (हस्पानिया) से जुड़ा है। वह वक़्त जब दुनिया ने तारिक़ बिन जय्याद के हौसले को देखा और अंत में क्रूसेड की क्रूरता को भी देखा। इस्लामिक उरूज़ और जवाल दोनों ही हस्पानिया स्पेन के इतिहास दर्ज़ हैं। बेहद अहम दौर था। यह वहदानियत के सिपाहियों और सलीबी शैतानो की कशमकश का। हम कैसे फतेहयाब हुए। फिर हद दर्जा कामयाब हुए और फिर क्यू पशमन्दा हुए। यह तारीखी सवाल कल भी अहम था और आज भी अहम है। लेकिन जवाब सिर्फ स्पेन की तारीख में है। जिससे हम कभी नही सिख सके, लेकिन सीखना होगा।
फर्स्ट अप्रैल एक लैटिन जुबां का वर्ड है जो की “अप्रैलिस” से निकला है, जिसका मतलब है फूलों का खिलना, कोंपलों का फूटना।
पुरानी रोमन कौम मौसमे बहार के शुरू होने पर शराब के देवता को खुश करने के लिए शराब पीते और उंटपटांग हरकतें करने के लिए झुट का सहारा लेते। इंसाइकलोपीडिया इंटरनेशनल के हिसाब से फर्स्ट अप्रैल पूरे योरोप के लिए मज़ाक का दिन घोसित है और हर नजेबा हरकत की छूट होती है।
बात उस वक़्त की है जब स्पेन में मिल्लत पश्मान्दगी और जवाल पर थी। सलीबी फौजों ने मुस्लिमो को शिकस्त दे कर इस्लामिक सकॉलर्स हब कहे जाने वाले स्पेन पर पूरी कब्ज़ा कर लिया।
उसके बाद जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। जिन लोगों इस्लाम को त्याग दिया उनकी जान बख्श दी जाती और जो लोग दीन पर कायम रहे उनको चैराहों पर इखट्टा करके सामूहिक आग लगा दी गयी। ज्यादा तादाद उन सेकुलर मुसलमानो की थी। जिन्होंने भाई चारा संस्कर्ति और इंसानियत पसंदी की बड़ी बड़ी बातें और कुतर्क दे कर शुरू में सलिबिओं की हुक्मरानो की ताईद और हिमायत की थी। पर अशहष्णुता के चलते योरोप फौजों ने उन्हें भी निशाने पर लिया। तब मरता क्या न करता की तर्ज़ पर उन्होंने गले में सलीब डालने में देर न की और अपने नाम भी ईसाइयों वाले रख लिये।
अब स्पेन में मुसलमान बज़ाहिर खत्म हो चुके थे। पर ईसाइयों को शक़ था कि अभी भी काफी मुसलमान हैं जो ईसाई बन कर धोखा दे रहे हैं।
अब ऐसे मुसलमानो को बाहर निकालने के लिए मनसूबा बनाया गया, इसी मनसूबे के तहत ऐलान हुआ कि जो भी मुस्लिम हैं। वह 1 अप्रैल को गरनाता (स्पेन का शहर) में इकठ्ठा हो जाएँ, जिससे उन्हें उनके देश भेज दिया जाए और जो नए-नए ईसाई बने हैं उनका धर्म परिवर्तन भी नही माना जा सकता, लिहाज़ा वह भी यहाँ से मुसलमानो के साथ निकल जाएँ।
स्पेन के तमाम मुसलमानो चाहे वह सेकुलर हो, लिबरल हो, मुनाफ़िक़ हो, फ़ासिक़ हो, किसी भी फ़िरक़े का हो सभी को समुद्री जहाज़ में बिठाया जा रहा था। सलीबी हुक्मरान महलों में जश्न मना रहे थे और जनरल मुसलमानो से भरे जहाजों को अलविदा कह रहे थे। हालांकि मुसलमान अपना मुल्क और घरबार छोड़ने से बेहद रंजीदा थे पर यह तसल्ली थी कि जान बच गयी। जब यह जहाज़ गहरे पानी में पहुंचे तो मनसूबा बन्दी के हिसाब से इन जहाजों को डुबो दिया गया और पूरी की पूरी स्पेन की कौम गहरे समुद्र की तल में हमेशा के लिए दफन कर दी गयी।
हर प्रोपगेंडा शुरू में एक छोटा मज़ाक होता है लेकिन बाद में रिवाज़ बन जाता है।
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Source: Teesri Jung
Courtesy :
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