Manav Jaati Ka Sanyukt Dharm : Islam
May 7, 2016Kyaa Islam Talwar se Phaila ?
May 9, 2016क्या क़ुरआन ईश्वरीय ग्रन्थ है?
तमाम संस्कृतियों में मानवीय शक्ति वचन और रचनात्मक क्षमताओं की अभिव्यक्ति के प्रमुख साधनों में साहित्य और शायरी (काव्य रचना) सर्वोपरि है। विश्व इतिहास में ऐसा भी ज़माना गु़ज़रा है जब समाज में साहित्य और काव्य को वही स्थान प्राप्त था जो आज विज्ञान और तकनीक को प्राप्त है।
गै़र-मुस्लिम भाषा-वैज्ञानिकों की सहमति है कि अरबी साहित्य का श्रेष्ठ सर्वोत्तम नमूना पवित्र क़ुरआन है यानी इस ज़मीन पर अरबी सहित्य का सर्वोत्कृष्ठ उदाहरण क़ुरआन-ए-पाक ही है। मानव जाति को पवित्र क़ुरआन की चुनौती है कि इन क़ुरआनी आयतों (वाक्यों ) के समान कुछ बनाकर दिखाए उसकी चुनौती है :
‘‘और अगर तुम्हें इस मामलेमें संदेह हो कि यह किताब जो हम ने अपने बंदों पर उतारी है, यह हमारी है या नहीं तो इसकी तरह एक ही सूरत (क़ुरआनी आयत) बना लाओ, अपने सारे साथियों को बुला लो एक अल्लाह को छोड़ कर शेष जिस जिस की चाहो सहायता ले लो, अगर तुम सच्चे हो तो यह काम कर दिखाओ, लेकिन अगर तुमने ऐसा नहीं किया और यकी़नन कभी नहीं कर सकते, तो डरो उस आग से जिसका ईधन बनेंगे इंसान और पत्थर। जो तैयार की गई है मुनकरीन हक़ (सत्य को नकारने वालों) के लिये।”
(क़ुरआन: सूर: 2, आयत 23 से 24 )
पवित्र क़ुरआन स्पष्ट शब्दों में सम्पूर्ण मानवजाति को चुनौती दे रहा है कि वह ऐसी ही एक सूरः बना कर तो दिखाए जैसी कि क़ुरआन में कई स्थानों पर दर्ज है । सिर्फ एक ही ऐसी सुरः बनाने की चुनौति जो अपने भाषा सौन्दर्य मृदुभषिता, अर्थ की व्यापकता औ चिंतन की गहराई में पवित्र क़ुरआन की बराबरी कर सके, आज तक पूरी नहीं की जा सकी ।
प्रसिद्ध भौतिकवादी दर्शनशास्त्री और नोबल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टाइन के अनुसार ‘‘धर्म के बिना विज्ञान लंगड़ा है और धर्म के बिना विज्ञान अंधा है ‘‘इसलिये अब हम पवित्र क़ुरआन का अध्ययन करते हुए यह जानने का प्रयत्न करते हैं कि आधुनिक विज्ञान और पवित्र क़ुरआन में परस्पर अनुकूलता है या प्रतिकूलता ?
यहां याद रखना ज़रूरी है कि पवित्र क़ुरआन कोई वैज्ञानिक किताब नहीं है बल्कि यह ‘‘निशानियों‘‘ (signs) की, यानि आयात की किताब है। पवित्र क़ुरआन में छह हज़ार से अधिक ‘‘निशानियां‘‘ (आयतें / वाक्य) हैं, जिनमें एक हज़ार से अधिक वाक्य विशिष्ट रूप से विज्ञान एवं वैज्ञानिक विषयों पर बहस करती हैं । हम जानते हैं कि कई अवसरों पर विज्ञान‘‘ यू टर्न ‘‘लेता है यानि विगत – विचार के प्रतिकूल बात कहने लगता है ।
एक ऐसी किताब जिसके अल्लाह द्वारा अवतरित होने का दावा किया जा रहा है उसी आधार पर एक चमत्कारी जादूगर की दावेदारी भी है तो उसकी पुष्टि verification भी होनी चाहिये। मुसलमानों का विश्वास है कि पवित्र क़ुरआन अल्लाह द्वारा उतारी हुई और सच्ची किताब है जो अपने आप में एक चमत्कार है, और जिसे समस्त मानव जाति के कल्याण के लिये उतारा गया है। आइये हम इस आस्था और विश्वास की प्रमाणिकता का बौद्धिक विश्लेषण करते हैं ।
क्या क़ुरान ईश्वरीय ग्रन्थ है?
इस तथ्य को जानने के लिए हम मौजूदा वैज्ञानिक खोजो का, क़ुरआन में लिखे हुए वैज्ञानिक तथ्यो से मिलान करते है।
क़ुरआन में इंसान के चंद्रमा पर पहुँचने का वर्णन मौजूद है:
يَـٰمَعۡشَرَ ٱلۡجِنِّ وَٱلۡإِنسِ إِنِ ٱسۡتَطَعۡتُمۡ أَن تَنفُذُواْ مِنۡ أَقۡطَارِ ٱلسَّمَـٰوَٲتِ وَٱلۡأَرۡضِ فَٱنفُذُواْۚ لَا تَنفُذُونَ إِلَّا بِسُلۡطَـٰنٍ
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
“ऐ जिन्नों और इंसानों की टोलियों! अगर तुम समझते हो की आसमान और पृथ्वी के व्यासों (*Diameters) में से गुज़र कर पार निकल सकते हो तो ऐसा कर देखो अतिरिक्त बल के इस्तेमाल के बिना नहीं कर सकोगे। अब तुम अपने रब के किन- किन वरदानो को झुठलाओगे।”
(क़ुरआन, सूरह रहमान, 55: 33- 34)
शक्ति और वेग के नियमो पर आधारित उपकरणों की सहायता से एक दिन पृथ्वी और अन्य ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में से गुज़रना सम्भव हो सकेगा, ये संकेत कुरान आज से 1400 साल पहले कर चूका था:
उस काल में जो वाहन मौजूद थे जैसे घोड़ा, खच्चर, उँट और पानी का जहाज उनके अतिरिक्त अन्य वाहनों की खोज होगी, ये भी कुरान ने आज से 1400 साल पहले बता दिया था। जैसे हवाई जहाज, रॉकेट इत्यादी:
وَٱلۡخَيۡلَ وَٱلۡبِغَالَ وَٱلۡحَمِيرَ لِتَرۡڪَبُوهَا وَزِينَةًۚ وَيَخۡلُقُ مَا لَا تَعۡلَمُونَ
وَعَلَى ٱللَّهِ قَصۡدُ ٱلسَّبِيلِ وَمِنۡهَا جَآٮِٕرٌۚ وَلَوۡ شَآءَ لَهَدَٮٰڪُمۡ أَجۡمَعِينَ“अल्लाह ने घोड़े, खच्चर, गधे तुम्हारे वाहन और शोभा के लिये पैदा किए और वो (इनके अलावा ऐसे वाहन) पैदा करेगा जिनका तुम्हे अभी ज्ञान नही है।”
(क़ुरआन, सुरह नहल,16:8- 9)
इन वाहनों पर सवार हो कर चंद्रमा पर पहुँचने का वर्णन ध्यान से देखिए:
وَٱلۡقَمَرِ إِذَا ٱتَّسَقَ
لَتَرۡكَبُنَّ طَبَقًا عَن طَبَقٍ
فَمَا لَهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ“पूर्ण हो जाने वाला चंद्रमा गवाह है की तुम ज़रूर इस धरती से दूसरी धरती तक सवारी पर सवार हो कर जाओगे। (ये चमत्कार देख लेने के बाद) फिर इन्हें अब क्या हो गया की ईमान नहीं लाते “
(क़ुरआन, सूरह इन्शिक़ाक़, 84:18- 20)
अब ध्यान देने वाली एक बात ये है की, क़ुरआन में सुरह क़मर की पहली आयत से लेकर सुरह नास की आखिरी आयत तक जितनी आयते है, उनकी संख्या 1389 बनती है। यही वो इस्लामी साल 1389 हिजरी (रोमन साल 1969) था, जिस वर्ष नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा पर पहुंचा था।
परमाणु भी विभाजित किये जा सकते हैं:
प्राचीन काल में परमाणुवाद:
Atomism के दृष्टिकोण शीर्षक से एक सिद्ध दृष्टिकोण को व्यापक धरातल पर स्वीकर किया जाता था यह दृष्टिकोण आज से 2300 वर्ष पहले यूनानी दर्शनशास्न्नी विमाक्रातिस Vimacratis ने पेश किया था। विमाक्रातिस और उसके वैचारिक अनुयायी की संकल्पना थी कि, द्रव्य की न्यूनतम इकाई परमाणु है प्राचीन अरब वासी भी इसी संकल्पना के समर्थक थे। अरबी शब्द, ‘‘ज़र्रा: अणु का मतलब वही था जिसे यूनानी ‘ऐटम‘ कहते थे। निकटतम इतिहास में विज्ञान ने यह खोज की है कि ‘परमाणु‘‘ को भी विभाजित करना सम्भव है, परमाणु के विभाजन योग्य होने की कल्पना भी बीसवीं सदी की वैज्ञानिक सक्रियता में शामिल है। चौदह शताब्दि पहले अरबों के लिये भी यह कल्पना असाधारण होती। उनके समक्ष ज़र्रा अथवा ‘अणु‘ की ऐसी सीमा थी जिसके आगे और विभाजन सम्भव नहीं था।
लेकिन पवित्र क़ुरआन की निम्नलिखित आयत में अल्लाह ने परमाणु सीमा को अंतिम सीमा मानने से इन्कार कर दिया है:
मुनकरीन (विरोधी ) कहते हैं–“क्या बात है कि क़यामत हम पर नहीं आ रही हैं ? कहो! क़सम है मेरे अंतर्यामी परवरदिगार (परमात्मा) की वह तुम पर आकर रहेगी उस से अणु से बराबर कोई वस्तु न तो आसमानों में छुपी हुई है न धरती पर: न अणु से बड़ी और न उस से छोटी ! यह सबकुछ एक सदृश दफ़तर में दर्ज है।”
(कु़रआन: सूर: 34 आयत 3)
विशेष: इस प्रकार का संदेश पवित्र क़ुरआन की सूर: 10 आयत 61 में भी वर्णित है।
यह पवित्र आयत हमें अल्लाह तआला के आलिमुल गै़ब अंतर्यामी होने यानि प्रत्येक अदृश्य और सदृश्य वस्तु के संदर्भ से महाज्ञानी होने के बारे में बताती है फिर यह आगे बढ़ती है और कहती है कि अल्लाह तआला हर चीज़ का ज्ञान रखते हैं चाहे वह परमाणु से छोटी या बड़ी वस्तु ही क्यों न हो। तो प्रमाणित हुआ कि यह पवित्र आयत स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है कि, परमाणु से संक्षिप्त वस्तु भी अस्तित्व में है और यह एक ऐसा यथार्थ है जिसे अभी हाल ही में आधुनिक वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है।
* संकेत है, गुरुत्वाकर्षण की सीमा और पृथ्वी और अन्य ग्रहों के गोल होने तरफ भी।
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