A Brief Introduction to Islam – Part 2
March 28, 2016A Brief Introduction to Islam – Part 3
March 29, 2016‘‘…हमारा शूद्र होना एक भयंकर रोग है, यह कैंसर जैसा है। इसकी केवल एक ही दवा है, और वह है इस्लाम।…”
पेरियार ई. वी. रामास्वामी (राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत, द्रविड़ प्रबुद्ध विचारक, पत्रकार, समाजसेवक व नेता, तमिलनाडु)
‘‘…हमारा शूद्र होना एक भयंकर रोग है, यह कैंसर जैसा है। यह अत्यंत पुरानी शिकायत है। इसकी केवल एक ही दवा है, और वह है इस्लाम। इसकी कोई दूसरी दवा नहीं है। अन्यथा हम इसे झेलेंगे, इसे भूलने के लिए नींद की गोलियाँ लेंगे या इसे दबा कर एक बदबूदार लाश की तरह ढोते रहेंगे। इस रोग को दूर करने के लिए उठ खड़े हों और इन्सानों की तरह सम्मानपूर्वक आगे बढ़ें कि केवल इस्लाम ही एक रास्ता है…।’’
‘‘…अरबी भाषा में इस्लाम का अर्थ है शान्ति, आत्म-समर्पण या निष्ठापूर्ण भक्ति। इस्लाम का मतलब है सार्वजनिक भाईचारा, बस यही इस्लाम है। सौ या दो सौ वर्ष पुराना तमिल शब्द-कोष देखें। तमिल भाषा में कदावुल देवता (Kadavul) का अर्थ है एक ईश्वर, निराकार, शान्ति, एकता, आध्यात्मिक समर्पण एवं भक्ति। ‘कदावुल’ (Kadavul) द्रविड़ शब्द है। अंग्रेज़ी भाषा का शब्द गॉड (God) अरबी भाषा में ‘अल्लाह’ है। ….भारतीय मुस्लिम इस्लाम की स्थापना करने वाले नहीं बल्कि उसका एक अंश हैं…।’’
‘‘…मलायाली मोपले (Malayali Mopillas), मिस्री, जापानी, और जर्मन मुस्लिम भी इस्लाम का अंश हैं। मुसलमान एक बड़ा गिरोह है। इन में अफ़्रीक़ी, हब्शी और नेग्रो मुस्लिम भी है। इन सारे लोगों के लिए अल्लाह एक ही है, जिसका न कोई आकार है, न उस जैसा कोई और है, उसके न पत्नी है और न बच्चे, और न ही उसे खाने-पीने की आवश्यकता है।’’
‘‘…जन्मजात समानता, समान अधिकार, अनुशासन इस्लाम के गुण हैं। अन्तर के कारण यदि हैं तो वे वातावरण, प्रजातियाँ और समय हैं। यही कारण है कि संसार में बसने वाले लगभग साठ करोड़ मुस्लिम एक-दूसरे के लिए जन्मजात भाईचारे की भावना रखते हैं। अतः जगत इस्लाम का विचार आते ही थरथरा उठता है…।’’
‘‘…इस्लाम की स्थापना क्यों हुई? इसकी स्थापना अनेकेश्वरवाद और जन्मजात असमानताओं को मिटाने के लिए और ‘एक ईश्वर, एक इन्सान’ के सिद्धांत को लागू करने के लिए हुई, जिसमें किसी अंधविश्वास या मूर्ति-पूजा की गुंजाइश नहीं है। इस्लाम इन्सान को विवेकपूर्ण जीवन व्यतीत करने का मार्ग दिखाता है…।’’
‘‘…इस्लाम की स्थापना बहुदेववाद और जन्म के आधार पर विषमता को समाप्त करने के लिए हुई थी। ‘एक ईश्वर और एक मानवजाति’ के सिद्धांत को स्थापित करने के लिए हुई थी; सारे अंधविश्वासों और मूर्ति पूजा को ख़त्म करने के लिए और युक्ति-संगत, बुद्धिपूर्ण (Rational) जीवन जीने के लिए नेतृत्व प्रदान करने के लिए इसकी स्थापना हुई थी…।’’
पेरियार ई. वी. रामास्वामी (राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत, द्रविड़ प्रबुद्ध विचारक, पत्रकार, समाजसेवक व नेता, तमिलनाडु)
—‘द वे ऑफ सैल्वेशन’
पृ. 13,14,21 से उद्धृत
(18 मार्च 1947 को तिरुचिनपल्ली में दिया गया भाषण)
अमन पब्लिकेशन्स, दिल्ली, 1995 ई॰
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