Kyaa Islam Talwar se Phaila ?
May 9, 2016Insani Zindagi ka Maqsad sirf Islam Sikhata Hai – Prof. Bainil Haiwit
May 11, 2016786 के माने
कुरान और हदीस की दूरी के सबब आज मुसल्मान ना जाने कितनी ऐसी बुराई हैं जिसे वो अच्छाई समझ के कर रहा हैं और उसे अपने दीन का हिस्सा समझता हैं| इसी किस्म की एक बुराई 786 हैं जिसे आमतौर पर लोग किसी काम की शुरुआत (जैसे खत, दुकानो मे, गाड़ीयो में) मे लिख देते हैं और ये समझते है के ये हैं| जबकि ना तो कभी नबी सं ने इसे किसी काम कि शुरुआत मे लिखा ना कभी सहाबा ने इसे लिखा| गौर फ़िक्र की बात ये हैं के आखिर इन अरबी हर्फ़ के नम्बर का सिस्टम बनाया किसने ये भी लोग नही जानते|
आइये देखते हैं कि इन नम्बरो की सच्चाई क्या हैं-
ऊर्दू नम्बर सिस्टम
इन नम्बर सिस्टम के हिसाब से अगर
के अक्षरो को अलग करके जोड़ा जाये तो –
जोड़ 788 निकलता हैं गौर करने की बात ये हैं के जब
के अक्षरो को अलग किया जाता है तो
और
लिखने मे अलिफ़ अक्षर को नही जोड़ा जाता जिससे अक्षरो का जोड़ 786 आता हैं लेकिन अगर अलिफ़ को भी साथ मे लेकर जोड़ा जाये तो जोड़ 788 आता हैं| जबकि सही जानकारी के मुताबिक 786 नम्बर हिन्दू मज़हब के भगवान हरी कृष्णा (ﻩری کرشنا) का अक्षरो के नम्बरो को जोड़ कर आता हैं|
नीचे देखे-
फ़िक्र करने की बात ये हैं के जिस नम्बर सिस्टम को लोग मानते चले आ रहे हैं उसका नबी सं या उनके सहाबी से कोई ताल्लुक नही और जिस चीज़ का ताल्लुक नबी या सहाबा से नही तो हम आम इन्सानो को ये हक़ कैसे हासिल के हम किसी चीज़ को दीन का काम बिना समझे क्यो कर रहे हैं|
अगर इन नम्बर सिस्टम को माना जाये तो मुहम्मद के नम्बर 92 होते हैं तो इस नम्बर सिस्टम के मानने वाले मुसल्मानो को दरूद शरीफ़, जिसे वो दिन रात पढ़ते हैं उसमे जहा-जहा मुहम्मद आता हैं वहा-वहा 92 कहना चाहिए| ज़रा गौर करें क्या ये दीन हैं!
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