हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) की शिक्षाओं के प्रभाव अगण्य और अनंत हैं, जो मानव स्वभाव, मानव-चरित्र, मानव समाज और मानव सभ्यता-संस्कृति पर पड़े। ये प्रभाव सार्वकालिक हैं और अब तो सार्वभौमिक हो चुके एवं होते ही जा रहे हैं। उनमें से कुछ पिछली पंक्तियों में ‘‘अद्भुत, अद्वितीय क्रान्ति’’ के उपशीर्षक के तहत उल्लिखित किए गए;
कुछ, संक्षेप में यहाँ प्रस्तुत किए जा रहे हैं:
मुस्लिम समाज, पूरी तरह आज आपकी शिक्षाओं का (दुर्भाग्यवश) पालन नहीं करता। विशेषतः भारत में ‘दूसरों की शिक्षाओं’ से तथा ‘धर्म-विमुख (सेक्युलर) सिद्धांतों’ व परम्पराओं से प्रभावित व प्रदूषित है। अतएव उसमें आपकी शिक्षाओं की चमक और शान, जैसी होनी चाहिए वैसी नज़र नहीं आती। फिर भी तुलनात्मक स्तर पर उसमें, आपकी शिक्षाओं का काफ़ी प्रभाव पाया जाता है,
जैसे:
ये सारे गुण, मुस्लिम समाज में, क़ुरआन और पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰) की उन शिक्षाओं के प्रभावस्वरूप उत्पन्न हुए हैं जो क़ुरआन (ईशग्रंथ) और ‘हदीस’ (पैग़म्बर के वचनों के संग्रह) में बाहुल्य और विस्तार के साथ बयान हुए हैं।
इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के जीवन, चरित्र, आचरण, सन्देश और मिशन तथा इसके सार्वकालिक, सार्वभौमिक उत्तम प्रभावों के बहुत ही कम पहलुओं पर, ऊपर बहुत संक्षेप में प्रकाश डाला गया है। इस व्यक्तित्व पर संसार की अनेक भाषाओं में करोड़ों पृष्ठ लिखे जा चुके हैं, लाखों पुस्तकें, आलेख, कविताएँ, आप (सल्ल॰) की प्रशंसा में लिखी जा चुकी हैं। यह क्रम 1400 वर्षों से निरंतर आज तक जारी है। यहाँ तक कि विरोधियों और शत्रुओं ने भी क़लम उठाया तो प्रशंसा करने, श्रद्धांजलि अर्पित करने से स्वयं को रोक न सके। ऐसी महान, मानवता-प्रेमी, मानवता-उपकारी, मानवता-उद्धारक हस्ती, जिसने अपने लिए, अपने स्वार्थ में, अपने सुख, भोगविलास के लिए; अपनी शान, वैभव के लिए, अपने आगे लोगों के सिर झुकवाने के लिए, अपनी जयजयकार कराने के लिए नहीं, बल्कि मनुष्य को ईश्वर—मात्रा ईश्वर—का सच्चा दास बनाने, बस उसी के आगे मनुष्य का मस्तक झुकवाने के लिए इतना संघर्ष किया, इतनी तपस्या की, इतने कष्ट, दुःख व जु़ल्म सहे। हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) केवल मुसलमानों की ही नहीं, समस्त मानवजाति की मूल्यवान विरासत हैं। आपका पैग़ाम, आपकी शिक्षाएँ, आपका आह्वान, आपका मिशन, आपकी पुकार, सबका सब पूरी मानवजाति के लिए है।
Source: IslamDharma
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Taqwa Islamic School
Islamic Educational & Research Organization (IERO)